Tuesday, September 22, 2020

आवेदन पत्र दो

सेवा में ;
अधिशासी अभियंता
विद्युत वितरण प्रखंड, बलिया।
विषय -बिजली कनेक्शन काटने के उपरांत मृतक व्यक्ति के नाम से बिजली बिल जारी होने के संदर्भ में।
महोदय, स्व. जगदीश मिश्र ने दिनांक 06.04.1973 को दस हार्सपावर का निजी नलकूप कनेक्शन लिया था। तब मीटर अनुपलब्ध रहने और विलंब होने की दशा में कनेक्शन का प्रकार  D/C था।
उपभोक्ता जगदीश मिश्र के पुत्रगणों (स्व. ब्रजराज स्व. विजयशंकर स्व. शिवशंकर स्व. दयाशंकर) के द्वारा दिनांक 19.02.1976 को दिए अपने प्रार्थना पत्र के बिंदु तीन से स्पष्ट है कि इस दिनांक तक उपभोक्ता जगदीश मिश्र के जिवित न रहने की दशा में अभिलेखों में संशोधन कर वारिसों के नाम पर कनेक्शन किया गया था। (तत्कालीन आवेदन पत्र की रिसिविंग की छाया प्रति संलग्न है)
               इसके बाद 12.04.1990 तक यह कनेक्शन दयाशंकर मिश्र के नाम से था। उसी समय आटाचक्की हटाने और बिजली कनेक्शन काटने का आवेदन दिया गया। जिसके अनुसार तत्कालीन अधिशासी अभियंता द्वारा मौका निरीक्षण करके आटा चक्की हटा दिया गया था और बिजली कनेक्शन काट दिया गया था। विभाग द्वारा बिजली के खंभे, तार इत्यादि हटा लिए गए थे। और समस्त बिल रुपये 800 सौ रुपये था जिसे जमा भी कर दिया गया था। (जिसकी जमा रसीद और निरीक्षण की रिपोर्ट की छाया प्रति संलग्न है)
अधिशासी अभियंता डिवीजन प्रथम महोदय से रिसीविंग भी प्राप्त हो गई थी जिसमें इस बात का उल्लेख है कि - "समस्त कार्यवाही पूरी कर ली गयी है अब कोई भी बकाया राशि शेष नहीं है"।
                        अब लगभग तीस वर्ष के बाद 19. 09.2020 को अचानक बिजली विभाग, सिकन्दरपुर के कुछ कर्मचारी आए और बकायेदारों की सूची में दयाशंकर मिश्र का नाम दिखाया जिसमें बकाया धनराशि 1035354 (दस लाख पैंतीस हजार तीन सौ चौवन रुपये) है। जिससे प्रार्थी को अपार मानसिक और सामाजिक पीड़ा हुई है।
                   महोदय इस संबंध में निवेदन है कि जो कनेक्शन 1990 में ही समाप्त हो चुका है, अब न वहाँ कोई बिजली का खंभा है, न तार, यहाँ तक कि ट्यूबवेल भी खण्डहर की हालत में है। ऐसी स्थिति में बिल आना अत्यंत पीड़ा दायक है।
                अत: श्री मान से निवेदन है कि इस बकाया धनराशि को निरस्त करते हुए बकायेदारों की सूची से स्व. दयाशंकर मिश्र का नाम हटाने की कृपा करें।
प्रार्थी -
असित कुमार मिश्र
कृते- स्व. दयाशंकर मिश्र
ग्राम - मिश्रचक
पत्रालय - सिकन्दरपुर
जनपद-बलिया (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल - 7897176716

Monday, September 21, 2020

आवेदन पत्र

सेवा में ;
अधिशासी अभियंता
विद्युत वितरण प्रखंड सिकन्दरपुर बलिया
विषय - मृतक व्यक्ति के नाम से बिजली बिल प्राप्त होने के संदर्भ में।
महोदय, हमने दिनांक 06.04.सन् 1973 को दस हार्सपावर का निजी नलकूप कनेक्शन लिया था। तब मीटर अनुपलब्ध रहने और विलंब होने की दशा में कनेक्शन का प्रकार  D/C था। यह कनेक्शन जगदीश मिश्र के नाम से था।
उपभोक्ता जगदीश मिश्र के पुत्रगणों (स्व. ब्रजराज स्व. विजयशंकर स्व. शिवशंकर स्व. दयाशंकर) के द्वारा दिनांक 19.02.1976 को दिए अपने प्रार्थना पत्र के बिंदु तीन से स्पष्ट है कि इस दिनांक तक उपभोक्ता जगदीश मिश्र के जिवित न रहने की दशा में अभिलेखों में संसोधन कर वारिसों के नाम पर कनेक्शन किया गया था। (तत्कालीन आवेदन पत्र की रिसिविंग की छाया प्रति संलग्न है)
               इसके बाद 12.04.1990 को जब यह कनेक्शन दयाशंकर मिश्र के नाम से था तब तत्कालीन अधिशासी अभियंता के द्वारा मौका निरीक्षण करके आटा चक्की हटा दिया गया और समस्त बिल रुपये 800 सौ (आठ सौ) जमा कर दिया गया था। (जिसकी जमा रसीद और निरीक्षण की रिपोर्ट की छाया प्रति संलग्न है)
           तत्पश्चात एग्जिक्यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन प्रथम के कार्यालय से दिनांक 18.05.1990 को एक आफिस मेमोरेण्डम निकाला गया जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया कि दिनांक 16.04.1990 के बाद दयाशंकर मिश्र के नाम कोई भी बकाया राशि शेष नहीं है।
इसके बाद बिजली कनेक्शन काट दिया गया था और सन 1991-92 में बिजली के खंभे, तार इत्यादि विभाग द्वारा हटा लिए गए थे।
                        इस घटना को बीते आज लगभग तीस वर्ष हो गए हैं। तब के द्वितीय उपभोक्ता दयाशंकर मिश्र को मरे भी दस वर्ष से अधिक हो गए।
लेकिन दिनांक 19 सितम्बर 2020 को अचानक बिजली विभाग सिकन्दरपुर के कुछ कर्मचारी आए और बकायेदारों की सूची में दयाशंकर मिश्र का नाम दिखाया जिसमें बकाया धनराशि 1035354 (दस लाख पैंतीस हजार तीन सौ चौवन रुपये) है।जिससे हम प्रार्थी को अपार मानसिक कष्ट हुआ है।
                   महोदय इस संबंध में निवेदन है कि विभाग द्वारा मौका मुआयना कराया जाए तथा कुछ ग्रामीणों से बातचीत की जाए जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि वो ट्यूबवेल अब खंडहर की हालत में है, वहाँ वर्षों से न कोई बिजली खंभा है, न कोई तार, न मोटर, न आटाचक्की यहाँ तक कि एक बल्ब और होल्डर तक नहीं है।
                अत: श्री मान से निवेदन है कि सन् 1973 से 1990 तक की समस्त पत्रावलियों की विवेचना कर ली जाए और लेजर बुक की त्रुटियों का निराकरण करते हुए सैंतालिस वर्ष पूर्व का कनेक्शन बंद कर दिया जाए।
                उपरोक्त संदर्भ में यह भी निवेदन है कि 1973 से लेकर 1990 तक के समस्त बिल उसकी जमा रसीद तथा विभाग और उपभोक्ता के बीच हुए समस्त पत्राचार की रिसिविंग उपलब्ध है। आपके कार्यालय से जब भी आदेश मिलेगा तो मय साक्ष्यों के साथ उपस्थित हो जाऊँगा।
भवदीय -
असित कुमार मिश्र
कृते- स्व. दयाशंकर मिश्र
ग्राम - मिश्रचक
पत्रालय - सिकन्दरपुर
जनपद-बलिया (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल - 7897176716

Wednesday, September 9, 2020

जब तक सिनेमा है

जब तक सिनेमा है तब तक लोग....

विजया जी!
रिया - सुशांत - कंगना जैसे लोगों पर कुछ बातचीत हो रही थी हमारी - आपकी, जब आपने फोन काटा था। तबसे मैं सोच रहा हूँ कि मेरे और आपके बीच ये अंतर कैसे आया!
मैंने कुछ सवाल पूछे थे आपसे जो अब भी सवाल ही हैं।
सुशांत जी बिहार के किस गाँव से थे? पता है आपको!
मल्लडीहा गाँव के कितने लोग बी. एड्. , एम. एड. , नेट, पी. एचडी. करके बेरोज़गार बैठे हैं और रोज़ मर रहे हैं पता है आपको!
सुशांत जी के मरने के बाद न्यूज़ चैनल्स ने जितना समय रिया पर लगाया उसके एक बटा करोड़वें सेकेंड भी यह सोचने में नहीं लगाया कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लिखित परीक्षा में कानपुर की विदुषी रश्मि जी का सेलेक्शन 121 सवाल सही करने पर भी क्यों नहीं हुआ जबकि वो एक करोड़ रुपये देकर आए किसी भी साक्षात्कारकर्ताओं से ज़्यादा जानतीं हैं!
              आप इस चिंता में परेशान हैं कि फिल्म उद्योग में कौन - कौन कोकीन का सेवन करता है?
लेकिन आप इस बात पर परेशान नहीं हैं कि किसी भी स्ववित्तपोषित काॅलेज़ेज़ में आठ हजार से लेकर बारह हजार तक के नेट पीएचडी टीचर्स होते हैं और उतनी कीमत में एक ग्राम कोकीन मिलती है।
हमारी कीमत एक ग्राम कोकीन ही है विजया जी! हमारी विद्वत्ता, हमारे विदेशों में छपे लेख-कहानियों, आकाशवाणियों पर प्रसारित चर्चाओं की कीमत उनके एक ग्राम में है... कब समझेंगी आप!
आप चौंक जाएंगी यह जानकर कि उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की भर्ती आज तीन साल से बस 'क्षैतिज आरक्षण' के कारण फँसी हुई है। अब आपको यह जानकर हँसी आएगी कि प्रतिशत निकाल लेने वाला कोई भी मास्टर यह क्षैतिज आरक्षण सेट कर देगा उसके लिए किसी सचिव वंदना त्रिपाठी की जरुरत ही नहीं!
सुशांत जी के मरने पर एक घर में अँधेरा छा गया, मानता हूँ। पर आपको नहीं पता कि इलाहाबाद और दिल्ली के लाखों छात्रों ने ही नहीं बल्कि बलिया के किसी असित कुमार मिश्र ने भी आज नौ तारीख को नौ मिनट के लिए लाइट बंद कर अँधेरा किया था।ताकि वो अपने मन की बात उस वक्ता को सुना सके जिसे जीभ देते समय भगवान भूल गया कि दो कान भी देने हैं! यह सुश्री कंगना जी से भी ज़्यादा हिम्मत का काम है!
नहीं पता है आपको कि आलू बलिया में चालीस रुपये किलो मिल रहा है! और नहीं पता है आपको कि कोरोना काल में कितनों के रोज़गार छिन गए या फिर देश की अर्थव्यवस्था कितने साल पीछे चली गई।
                 नहीं पता है आपको कि 2007 में आपकी तरह ही एक गणित की शिक्षिका थीं जिसके बारे में उस समय के एक गिद्ध सुधीर चौधरी ने स्टिंग ऑपरेशन करके बताया था कि वो लड़कियों को देह व्यापार के लिए मजबूर करती है।
फिर क्या था! हम - आप जैसी आम जनता ने उस औरत को सड़क पर घसीट लिया वो औरत नंगी हो गई हम धृतराष्ट्रों की सभा में। उसका ब्याउज़ तक फाड़ दिया गया।
बाद में वो औरत बे-गुनाह निकली। सब कुछ स्क्रिप्टेड निकला और सुधीर चौधरी ने माफ़ी माँग ली!
उस औरत का नाम नहीं पता है आपको लेकिन कंगना के हक के लिए फोन काट दिया आपने!
वो औरत भी किसी के लिए कंगना ही थी विजया जी! जो आज कहाँ और किस हाल में होगी किसी को नहीं पता। लेकिन  गिद्धों की सभा में आज भी कोई सुधीर चौधरी जरूर होगा! पता कर लीजियेगा।
किसी कंगना का करोड़ों का बंगला टूट गया वह पता है आपको! लेकिन सुशांत जी के मल्लडीहा में रजेसवा ने अपनी माँ का एक कंगन इसलिये गिरवी रखा था कि वो उस रेलवे ग्रुप डी का फार्म भर सके जिसकी परीक्षा अब तक नहीं हुई!
किस कंगना की चिंता करनी चाहिए थी और किस कंगना की चिंता कर रही हैं आप!
अपने जिले की कोरोना अपडेट पूछ दूँ तो बिना नवीन चंद्रकला भइया की पोस्ट देखे बता नहीं पाएँगी आप! लेकिन मुम्बई में बीएमसी क्या कर रही है वो पल - पल की खबर है आपको। खैर छोड़िए यह सब बातें!
                      याद है! विवाह के समय आपके पक्ष के पंडितों  ने जितने वचन उच्चरित किए थे उनमें सहमति के साथ एक शुद्ध उच्चारण मेरा भी था।
लेकिन वर पक्ष से कोई भी वचन नहीं लिया गया था। आज पहला वचन ले रहा हूँ फेसबुक के सैकड़ों पंडितों के समक्ष.... मेरी ही तरह टी. वी. नहीं देखेंगी आज के बाद।
ताकि सही मुद्दों की सही पहचान सही आँखें कर सकें.... ।
और ये आप पर छोड़ता हूँ पता कीजिएगा कि रामाधीर सिंह ने सिनेमा के बारे में क्या कहा था.... ।

असित कुमार मिश्र
बलिया