Wednesday, September 9, 2020

जब तक सिनेमा है

जब तक सिनेमा है तब तक लोग....

विजया जी!
रिया - सुशांत - कंगना जैसे लोगों पर कुछ बातचीत हो रही थी हमारी - आपकी, जब आपने फोन काटा था। तबसे मैं सोच रहा हूँ कि मेरे और आपके बीच ये अंतर कैसे आया!
मैंने कुछ सवाल पूछे थे आपसे जो अब भी सवाल ही हैं।
सुशांत जी बिहार के किस गाँव से थे? पता है आपको!
मल्लडीहा गाँव के कितने लोग बी. एड्. , एम. एड. , नेट, पी. एचडी. करके बेरोज़गार बैठे हैं और रोज़ मर रहे हैं पता है आपको!
सुशांत जी के मरने के बाद न्यूज़ चैनल्स ने जितना समय रिया पर लगाया उसके एक बटा करोड़वें सेकेंड भी यह सोचने में नहीं लगाया कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लिखित परीक्षा में कानपुर की विदुषी रश्मि जी का सेलेक्शन 121 सवाल सही करने पर भी क्यों नहीं हुआ जबकि वो एक करोड़ रुपये देकर आए किसी भी साक्षात्कारकर्ताओं से ज़्यादा जानतीं हैं!
              आप इस चिंता में परेशान हैं कि फिल्म उद्योग में कौन - कौन कोकीन का सेवन करता है?
लेकिन आप इस बात पर परेशान नहीं हैं कि किसी भी स्ववित्तपोषित काॅलेज़ेज़ में आठ हजार से लेकर बारह हजार तक के नेट पीएचडी टीचर्स होते हैं और उतनी कीमत में एक ग्राम कोकीन मिलती है।
हमारी कीमत एक ग्राम कोकीन ही है विजया जी! हमारी विद्वत्ता, हमारे विदेशों में छपे लेख-कहानियों, आकाशवाणियों पर प्रसारित चर्चाओं की कीमत उनके एक ग्राम में है... कब समझेंगी आप!
आप चौंक जाएंगी यह जानकर कि उत्तर प्रदेश में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की भर्ती आज तीन साल से बस 'क्षैतिज आरक्षण' के कारण फँसी हुई है। अब आपको यह जानकर हँसी आएगी कि प्रतिशत निकाल लेने वाला कोई भी मास्टर यह क्षैतिज आरक्षण सेट कर देगा उसके लिए किसी सचिव वंदना त्रिपाठी की जरुरत ही नहीं!
सुशांत जी के मरने पर एक घर में अँधेरा छा गया, मानता हूँ। पर आपको नहीं पता कि इलाहाबाद और दिल्ली के लाखों छात्रों ने ही नहीं बल्कि बलिया के किसी असित कुमार मिश्र ने भी आज नौ तारीख को नौ मिनट के लिए लाइट बंद कर अँधेरा किया था।ताकि वो अपने मन की बात उस वक्ता को सुना सके जिसे जीभ देते समय भगवान भूल गया कि दो कान भी देने हैं! यह सुश्री कंगना जी से भी ज़्यादा हिम्मत का काम है!
नहीं पता है आपको कि आलू बलिया में चालीस रुपये किलो मिल रहा है! और नहीं पता है आपको कि कोरोना काल में कितनों के रोज़गार छिन गए या फिर देश की अर्थव्यवस्था कितने साल पीछे चली गई।
                 नहीं पता है आपको कि 2007 में आपकी तरह ही एक गणित की शिक्षिका थीं जिसके बारे में उस समय के एक गिद्ध सुधीर चौधरी ने स्टिंग ऑपरेशन करके बताया था कि वो लड़कियों को देह व्यापार के लिए मजबूर करती है।
फिर क्या था! हम - आप जैसी आम जनता ने उस औरत को सड़क पर घसीट लिया वो औरत नंगी हो गई हम धृतराष्ट्रों की सभा में। उसका ब्याउज़ तक फाड़ दिया गया।
बाद में वो औरत बे-गुनाह निकली। सब कुछ स्क्रिप्टेड निकला और सुधीर चौधरी ने माफ़ी माँग ली!
उस औरत का नाम नहीं पता है आपको लेकिन कंगना के हक के लिए फोन काट दिया आपने!
वो औरत भी किसी के लिए कंगना ही थी विजया जी! जो आज कहाँ और किस हाल में होगी किसी को नहीं पता। लेकिन  गिद्धों की सभा में आज भी कोई सुधीर चौधरी जरूर होगा! पता कर लीजियेगा।
किसी कंगना का करोड़ों का बंगला टूट गया वह पता है आपको! लेकिन सुशांत जी के मल्लडीहा में रजेसवा ने अपनी माँ का एक कंगन इसलिये गिरवी रखा था कि वो उस रेलवे ग्रुप डी का फार्म भर सके जिसकी परीक्षा अब तक नहीं हुई!
किस कंगना की चिंता करनी चाहिए थी और किस कंगना की चिंता कर रही हैं आप!
अपने जिले की कोरोना अपडेट पूछ दूँ तो बिना नवीन चंद्रकला भइया की पोस्ट देखे बता नहीं पाएँगी आप! लेकिन मुम्बई में बीएमसी क्या कर रही है वो पल - पल की खबर है आपको। खैर छोड़िए यह सब बातें!
                      याद है! विवाह के समय आपके पक्ष के पंडितों  ने जितने वचन उच्चरित किए थे उनमें सहमति के साथ एक शुद्ध उच्चारण मेरा भी था।
लेकिन वर पक्ष से कोई भी वचन नहीं लिया गया था। आज पहला वचन ले रहा हूँ फेसबुक के सैकड़ों पंडितों के समक्ष.... मेरी ही तरह टी. वी. नहीं देखेंगी आज के बाद।
ताकि सही मुद्दों की सही पहचान सही आँखें कर सकें.... ।
और ये आप पर छोड़ता हूँ पता कीजिएगा कि रामाधीर सिंह ने सिनेमा के बारे में क्या कहा था.... ।

असित कुमार मिश्र
बलिया

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